अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022: कहा जाता है, हर जगह की अपनी कोई न कोई कहानी होती है। ऐसी ही कुछ कहानी आज हम आपके लिए लेकर आएं हैं।
कहानी ऐसी महिलाओं की जो इतिहास में अपने संघर्ष के बल पर नायिका बनकर उभरीं, समाज में बदलाव लेकर आई और आने वाली पीढ़ियों को एक संदेश दिया और रास्ता दिखाया ।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आज हम आपको उन जगहों के बारे में बात करते हैं, जहां साहसी महिलाओं ने जन्म लिया और पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गई। भारत की ये जगहें भी पर्यटन स्थानों में सुमार हैं ।
चंद्रमुखी बसु – भारत की पहली महिला ग्रेजुएट
जन्मस्थान- देहरादून (उत्तराखंड)

चंद्रमुखी बसु का जन्म 1860 में देहरादून, उत्तराखंड मे हुआ था। वो पहली ऐसी महिला थीं जिन्होंने भारत मे ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान ग्रेजुएसन पूरा किया था।
बसु ने 1880 में देहरादून नेटिव क्रिश्चियन स्कूल से आर्ट परीक्षा पास की और और 1884 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ आर्ट्स पास करने वाली पहली भारतीय महिला भी बनीं।
चंद्रमुखी बसु ने अपने करियर की शुरुआत बेथ्यून कॉलेज में एक लेक्चरर के रूप में किया। बाद में वह प्रिंसिपल बनीं ।
इस प्रकार दक्षिण एशिया में स्नातक अंडर ग्रेजुएट पहली महिला प्रमुख बन गईं। 1891 में रिटायर हुई और इसके बाद का अपना पूरा जीवन देहरादून में बिताया।
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फातिमा बीवी- भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश
जन्मस्थान-पठानमथिट्टा (केरल)

फातिमा बीवी 1989 में भारत में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुईं और इस तरह वह भारत के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायधीश बनीं । वो वर्ष भारतीय अधिकार क्षेत्र की महिलाओं के लिए बेहद सुनेहरा था। वे कानून की पढ़ाई की मदद से समाज के पुरुष-प्रधान होने की मानसिकता को बदलना चाहती थीं ।
फातिमा बीवी का जन्म 1927 में त्रावणकोर (अब केरल) के तत्कालीन राज्य पथानामथिट्टा में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा वहीं से प्राप्त की थी। उन्होंने अपना आरंभिक जीवन पठानमथिट्टा में ही बिताया।
फातिमा बीवी को रोल मॉडल मानकर आप यहां घूमने के लिए जा सकते हैं। यहां के जंगल, नदियां पर गांव का नजारा बेहद ही खूबसूरत लगता है।
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रानी चेन्नाभैरदेवी –कुमता (कर्नाटक)
यहाँ भारत की काली मिर्च की रानी चेन्नाभैरदेवी ने 54 वर्षों तक राज किया

कुमता शहर को इतिहास में एक किले के लिए बनाए गए स्टेशन के रूप में दिखाया जाता ह। इसे गेरुसोप्पा की रानी रानी चेन्नाभैरदेवी द्वारा बनवाया गया था।
रानी चेन्नाभैरदेवी ने यहां 54 वर्ष की लंबी अवधि तक शासन किया । यह किसी भी भारतीय महिला शासक द्वारा चलाया गया सबसे लंबा शासन काल था।
अघनाशिनी नदी के तट पर स्थित मिरजन किला, अपनी खूबसूरत स्थापत्य के लिए मशहूर है। यह 16वीं और 17वीं शताब्दी में लड़ी गई कई लड़ाइयों का गवाह रहा है। यहाँ इस काल खंड मे कई लड़ाईयां लड़ी गयी ।
रानी चेन्नाभैरदेवी का राज्य काली मिर्च के लिए बहुत प्रसिद्ध था। इस वजह से पुर्तगालियों ने उन्हें ‘रानी, द पीपर क्वीन’ की उपाधि दी थी।
यहाँ आप गोकर्ण के मंदिर शहर के पास स्थित मिरजान किले की यात्रा कर सकते हैं। यहां आकर आपको रानी चेन्नाभैरदेवी द्वारा किए गए कामों को देखने समझने का अच्छा अवसर प्राप्त होगा।
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बछेंद्री पाल- माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला
जन्मस्थान – नकुरी (उत्तराखंड)

वर्ष 1984 में बछेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं थीं।
उन्होंने 1993, 1994 और 1997 में भारत-नेपाली महिला माउंट एवरेस्ट अभियान, द ग्रेट इंडियन विमेन राफ्टिंग वॉयेज और प्रथम भारतीय महिला ट्रांस-हिमालयन अभियान में महिलाओं की एक टीम के साथ इन प्रोग्राम में भाग लिया था।
बछेंद्री पाल उत्तरकाशी जिले के नकुरी गाँव की निवासी थी। यह स्थान उत्तराखंड में पवित्र नदी भागीरथी के किनारे पर स्थित एक पवित्र शहर के रूप में जाना जाता है। आप उत्तरकाशी यात्रा के दौरान इस गांव में घूमने के लिए जा सकते हैं यह बहुत सुंदर स्थान है।
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कल्पना चावला: अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला
जन्मस्थान-करनाल (हरियाणा)

अंतरिक्ष में पहुँचने वाली भारतीय मूल की प्रथम महिला कल्पना चावला अपनी मृत्यु के इतने वर्षों के बाद भी आज भी भारतीयों के लिए एक गौरव हैं।
कल्पना चावला का जन्म करनाल (हरियाणा) में हुआ था। अगर आप करनाल आएँगे, तो आपको यहां उनके नाम के कई संस्थान देखने कोमिलेंगे । आप ज्योतिसर, कुरुक्षेत्र में स्थित कल्पना चावला तारामंडल में भी देखने जा सकते हैं। यह उन लोगों के लिए एक परफेक्ट जगह है, जो शहर के शोर शराबे से बचना चाहते हैं।
करनाल शहर से 45 किमी. दूर विशाल हरे-भरे खेतों से घिरा यह स्थान बेहद शांत है । तारामंडल उन लोगों के लिए एक परफेक्ट जगह है, जो शहर के शोर शराबे से बचना चाहते हैं। तारामंडल बेहद शांत जगह है, जहां पर्यटकों को खगोल विज्ञान शो का मिश्रण देखने को मिलता है।
मैरी कॉम भारत की सुप्रसिद्ध महिला बाक्सर – आठ विश्व चैम्पियनशिप पदक जीतने वाले एकमात्र महिला
जन्मस्थान – कंगथेई (मणिपुर)

मैंगते चुंगनेइजंग मैरी कॉम, जिन्हें मैरी कॉम के नाम से भी जाना जाता है। वह दुनिया भर की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं।
मैरी कॉम आठ विश्व चैम्पियनशिप पदक जीतने वाले एकमात्र महिला हैं।
मैरी कॉम 46.7 किमी की दूरी पर स्थित मणिपुर के एक छोटे से गांव कांगथी में रहती हैं।
मणिपुर घूमने के लिए अगर आप आएं, तो आप कंगाथी घूमने आ सकते हैं, यहाँ के खेतों और गलियों से आपको प्यार हो जाएगा।
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