ऐसा कहा जाता है कि बहुत अधिक शराब और चाय पीने से फैटी लीवर की समस्या होने लगती है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह बीमारी हर किसी को अलग-अलग तरह से प्रभावित करती है। फैटी लिवर की स्थिति का का मतलब है कि शरीर ने पिछले कुछ समय में बहुत ज्यादा फैट जमा कर लिया है, और अब यह लीवर के काम करने की क्षमता को प्रभावित कर रहा है। हालांकि अधिक मात्रा में शराब पीना फैटी लीवर की बीमारी के मुख्य कारणों में से एक है। शराब पीने वाले लोगों स्लीपएपनिया, कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ना, डायबिटीज, अंडर एक्टिव थॉयराइड और अन्य कारकों के कारण यह स्थित पैदा होने की संभावना रहती है।
फैटी लीवर की समस्या होने पर सांसों से आती है महक
फैटी लीवर रोग के कई लक्षणों में से एक है ब्रेथ ऑफ डेड। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रोगी की सांस मीटी, मटमैली होती है। इसे फेटोर हेपेटाइटिस के रूप में जाना जाता है। इसे आपकी सामान्य सांस से आसानी से अलग किया जा सकता है।
कुछ खाने के बाद या सुबह के समय सांस से बदबू आना आम बात है, लेकिन फैटी लीवर की समस्या से ग्रसित व्यक्ति में यह दिनभर बनी रहती है। सांस में पूरे एक दिन एक अलग गंधक और और मटमैली से गंध आ सकती है। यह फैटी लीवर की बीमारी का एक साफ लक्षण है ।
सांसों से बदबू क्यों आती है?
लीवर आपके शरीर का सबसे बड़ा अंग है। फैटी लीवर की बीमारी के मामले में ,लीवर न तो ब्लड को फिल्टर कर पाता है और न ही शरीर द्वारा निगली जाने वाली दवाओं को पचा सकता है, जो कि लीवर का महत्वपूर्ण काम है। जब लीवर ठीक से काम नहीं करता तो सामान्य स्थिति में जो विषाक्त पदार्थ लीवर से फिल्टर किया जाना चाहिए था, वह श्वसन प्रणाली सहित शरीर के अन्य हिस्सों में अपना रास्ता बना लेता है। इस कारण आपकी सांसों में बदबू आती है और सांस छोड़ते समय आप इसे आसानी से पहचान सकते हैं। डाइमिथाइल सल्फाइड फेटोर हेपेटिक की इस गंध के लिए जिम्मेदार है।
फैटी लीवर के अन्य लक्षण
ऐसे तो हमारे सांसों से कई कारणों से बदबू आ सकती है। इनमें से एक है फैटी लीवर की बीमारी। आमतौर पर यदि आपकी बदबूदार सांस फैटी लीवर की बीमारी से जुड़ी है, जो आपको भ्रम, भटकाव, आसानी से खून बहने, त्वचा का पीला पड़ना, पैरों को सूजने और पेट में सूजन आने जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
इस स्थिति से कैसे निजात पा सकते हैं
यदि आप अपनी सांस में एक अलग तरह की गंध महसूस करते हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। आपके लक्षणों के आधार पर आपका डॉक्टर आपको कुछ टेस्ट कराने की सलाह दे सकता है। इससे ये पता चलेगा कि आप फैटी लीवर से पीड़ित हैं या फिर कोई अन्य समस्या है। पुष्टि होने के बाद ही वह इलाज करना शुरू करेगा। अगर इसका कारण अल्कोहॉलिक लीवर डिसीज है, तो डॉक्टर रोगी को शराब का सेवन बंद करने की सलाह देता है। वहीं कुछ मामलों में आहार में बदलाव और नियमित रूप से व्ययाम करने की सलाह भी दी जाती है।
फैटी लीवर एक गंभीर स्थिति है, जिसके लिए उपचार की बहुत जरूरत होती है। इसका इलाज किया जाना चाहिए, क्योंकि यह अपने आप ठीक होने वाली बीमारियों में से नहीं है। जितनी जल्दी हो सके, इसके लक्षणों को पहचानें और इस स्थिति के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।