Thursday, June 27, 2024
HomeEducationक्या होता है लाभ का पद, जिसमे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन...

क्या होता है लाभ का पद, जिसमे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता को अयोग्य घोषित किया गया है ?

क्या होता है लाभ का पद: भारत के संविधान में अनुच्छेद 102(1)(a) तथा अनुच्छेद 191(1)(a) में लाभ के पद का उल्लेख किया गया है, किंतु लाभ के पद को परिभाषित नहीं किया गया है।
अनुच्छेद 102(1)(a) के अंतर्गत संसद सदस्यों के लिये तथा अनुच्छेद 191(1)(a) के तहत राज्य विधानसभा के सदस्यों के लिये ऐसे किसी अन्य पद पर को धारण करने की मनाही है जहाँ वेतन, भत्ते या अन्य दूसरी तरह के सरकारी लाभ मिलते हों। इस तरह के लाभ की मात्रा का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
अगर कोई सांसद/विधायक किसी लाभ के पद पर आसीन पाया जाता है तो संसद या संबंधित विधानसभा में उसकी सदस्यता को अयोग्य करार दिया जा सकता है। केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, किसी भी विधायक द्वारा सरकार में ऐसे ‘लाभ के पद’ को हासिल नहीं किया जा सकता है जिसमें सरकारी भत्ते या अन्य शक्तियाँ मिलती हैं।
जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 (ए) में भी सांसदों व विधायकों को लाभ का पद धारण करने की मनाही है।


लाभ का पद संबंधी प्रावधानों की आवश्यकता

संविधान में इन प्रावधानों को शामिल करने का उद्देश्य निति निर्माण के इन निकायों (संसद व विधानमंडल) को किसी भी तरह के दबाव से मुक्त रखना था। क्योंकि अगर लाभ के पदों पर नियुक्त व्यक्ति विधानसभा का भी सदस्य होगा, तो हो सकता है कि वह अपने लाभ के लिये निर्णयों को प्रभावित करने का प्रयास करे।
इसके पीछे मूल भावना यह है कि निर्वाचित सदस्य के कर्त्तव्यों और हितों के बीच कोई संघर्ष नहीं होना चाहिये।
संविधान के अनुसार विधायिका सरकार को नियंत्रित करती है। इस नियंत्रण को कम करने के लिये विधायकों को खुश करने एवं लाभ पहुँचाने हेतु उन्हें लाभ के कुछ पद प्रदान कर दिए जाते हैं। इस प्रकार विधायिका और कार्यपालिका के बीच शक्ति के पृथक्करण के सिद्धांत को कमजो़र किया जा सकता है।
इस प्रकार लाभ का पद संबंधी प्रावधान संविधान में वर्णित – विधायिका और कार्यपालिका के बीच शक्ति के पृथक्करण के सिद्धांत को लागू करने का ही एक प्रयास है।

RELATED ARTICLES

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Read More